हमसफ़र चाहिए उम्र भर चाहिए
आपके प्यार की नज़र चाहिए
दिल है बेघर इसे एक घर चाहिए
बस यूँ ही देख कर मुस्कुराते रहो
ये सहारा मुझे उम्र भर चाहिए
दिल है बेघर इसे एक घर चाहिए
तुम हो मेरे सनम तू हो मेरे खुदा
तुम हो सब से अलग तुम हो सब से जुदा
सोचता हूँ तुम्हे दू मैं सौगात क्या
दिल तो देते हैं सब दिल की औकात क्या
जान हाज़िर है मेरी अगर चाहिए
दिल है बेघर इसे एक घर चाहिए
हमसफ़र चाहिए उम्र भर चाहिए
मैं अकेली रही तो बिखर जाउंगी
आसरा तुम न दोगे तो मर जाउंगी
ये न समझो के है दो कदम का सफ़र
ये सफ़र तो है लाखों जनम का सफ़र
इस सफ़र में कोई हमसफ़र चाहिए
दिल है बेघर इसे एक घर चाहिए
हमसफ़र चाहिए उम्र भर चाहिए
यह गीत राहत इन्दौरी ने फ़िल्म 'इन्तहा' (2003) के लिए लिखा था ।