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हमसे पूछिए / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
उनकी हसीन जुल्फ के साये में जान दी,
सरकार खुदकसी का मजा हमसे पूछिए!
न अपनी कुछ खबर है न उनका कुछ पता है,
सरकार दिल्लगी का मजा हमसे पूछिए !
उनकी नशीली आँख से इक जाम क्या पिया
सरकार बेखुदी का मजा हमसे पूछिए !
वो हैं, उन्ही कि याद है, दुनिया उन्ही कि है,
सरकार आशिकी का मज़ा हमसे पूछिए !
उनको सुनाया हाले दिल तो वो भी हंस पड़े,
सरकार उस हंसी का मज़ा हमसे पूछिए !
‘आनंद’ की बाते हैं, या गम का फ़साना है
सरकार गमज़दी का मज़ा हमसे पूछिए !!