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हमारा जातीय गौरव / मनमोहन
Kavita Kosh से
आधी से ज़्यादा आबादी
जहां खून की कमी की शिकार थी
हमने वहां ख़ून के खुले खेल खेले
हर बड़ा रक्तपात
एक रंगारंग राष्ट्रीय महोत्सव हुआ
हमने ख़ूब बस्तियां जलाईं
और खूब उजाला किया
और छत पर चढ़कर चिल्लाकर कहा
देखो, दुनिया के लोगो
देखो हमारा जातीय गौरव!