तेरे सपने, तेरे रँग
क्या-क्या मौसम मेरे सँग
आँखों से सब कुछ कह दे
ये तो है उसका ही ढँग
लमहे में सदियाँ जी लें
हम तो ठहरे यार मलँग
जीवन ऐसे है जैसे
बच्चे के हाथों में पतँग
गुल से ख़ुशबू कहती है
जीना मरना है इक सँग
कैसे गुज़रे हवा भला
शहर की सब गलियाँ हैं तँग