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हम वीर बने / सभामोहन अवधिया 'स्वर्ण सहोदर'
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हम वीर बनें, सरदार बनें,
हम साहस के अवतार बनें।
तैरें निज उठी उमंगो पर,
सागर की तीव्र तरंगों पर।
अपने दम पर, अपने बल पर,
चाहें तो चढ़ें हिमालय पर।
हम खुद अपने आधार बनें,
उन्नति के जिम्मेदार बनें।
कठिनाई से रण ठना रहे,
आफत का कुहरा घना रहे।
पर सदा हौसला बना रहे,
सीना आगे को तना रहे।
हम प्रण के पालनहार बनें,
अपनी धुन के रखवार बनें।
निज जन्म भूमि का क्लेश हरें,
जैसे हो, सुखी स्वदेश करें।
जननी पर नित बलिहार रहें,
मर मिटने को तैयार रहें।
हम माँ के राजकुमार बनें,
जननी के उर के हार बनें।