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हर जगह जीवन विकल है / हरिवंशराय बच्चन
Kavita Kosh से
हर जगह जीवन विकल है!
तृषित मरुथल की कहानी,
हो चुकी जग में पुरानी,
किंतु वारिधि के हृदय की प्यास उतनी ही अटल है!
हर जगह जीवन विकल है!
रो रहा विरही अकेला,
देख तन का मिलन मेला,
पर जगत में दो हृदय के मिलन की आशा विफल है!
हर जगह जीवन विकल है!
अनुभवी इसको बताएँ,
व्यर्थ मत मुझसे छिपाएँ;
प्रेयसी के अधर-मधु में भी मिला कितना गरल है!
हर जगह जीवन विकल है!