भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हवा / रुस्तम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसने देखा है उसे कुरलाते हुए?
कहाँ?

कभी-कभी हवा भूल भी जाती है।

खोई आँखों से
सिक्का ढूँढ़ती है।
पीछे लौटती है, पछताती है।

किसी कोने में, किसी कोने में

किसने देखा है उसे पछताते हुए?

किसने?