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हाइकु-3 / रमा द्विवेदी
Kavita Kosh से
१-
आधुनिकता
नीलामी संबंधों की
खुली दुकान।
२-
बुरा करम
खुशहाल जीवन
मन का भ्रम ।
३-
सुन्दर तन
कनक घट विष
मलिन मन ।
४-
स्वारथ वश
मुखौटा याराना का
कटु सच्चाई ।
५-
कविता पढ़ी
कछु पल्ले न पड़ी
जनता हंसी ।
६-
शादी रचा ली
माडर्न समझौता
खतरे भरी ।