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हाइकु / सत्या शर्मा 'कीर्ति' / कविता भट्ट

1
करे निवास
हठयोगिनी गंगा
जटा आवास

करदी बासु
हठजोगिण गंगा
जटा माँ रौंदी
2
देता सम्बल
सघन पीड़ा पल
याद कंबल

देणु च सास
भारी खौरी कि घड़ी
खुद कामळु
3
करते मेघ
बूंदों का मोक्षदान
धरती द्वार

कर्दा बादळ
बुन्दु कु मुग्स दान
पिर्थी च द्वार
4
प्रकृति खिंचे
मन कैनवास पर
अनोखे चित्र

पर्किर्ती खैंचू
मना कैंवास परैं
अनोखा चित्र
5
खींचता रथ
उम्र भर सारथी
मृत्यु के पथ

खैंचदु रथ
सार्थि सैडी उमर
मिरत्वा रस्ता
6
झुकी अलकें
अर्द्धसुप्त नयन
चारु चंचल

झुक्याँ सि च्यप्पू
अधनिन्दि आँखी
जून च्यूँचळ
7
मन पराग
सुगन्धित बयार
बसंत राग

मन पराग
खुसबोदार बथौं
बसंत राग
8
धरे अधर
अनुराग तुम्हारा
वंशी के स्वर

होंट धर्यन
माया य च तुमारी
बंसी का सूर
9
प्रेम के घाट
ठहरी शब्द नदी
बहता मौन ।

प्रेमा घाट माँ
ठौरी सब्दु गंगाजी
बगदि बौग
10
वक्त जुलाहा
बुने रिश्तों का धागा
उम्र तकली

बग्त जुलाहा
बुणदु रिस्तों धागा
उम्र ताकळु
11
मल्हार गूँजे
चिड़ियाँ कोटर से
बरखा दिन

मलारी गुंजिं
प्वथली क्वट्रा बिटी
बर्खा कु दिन
12
वक्त के पाँव
घोलती महावर
नवेली साँझ

बग्ता का खुट्टा
घ्वळदी च मावर
नैं-नैं ब्याखुन ।
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