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हाइकु 171 / लक्ष्मीनारायण रंगा

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समंद मांय
रचै सोने रो पुळ
सूरज सोनी


राजनिति रै
हुवै ई नईं नाक
किंया कट सी


माटी रै दिये
सींच परेम तेल
जगसी जोती