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हाइकु 4 / प्रियंका गुप्ता
Kavita Kosh से
32
पिंजरा तोड़
न जाने किस ओर
लो पंछी उड़ा।
33
आकुल मन
भौंरे की गुनगुन
क्यूँ तड़पाए?
34
नादान भौंरा
सगा फूलों को माने
सच न जाने।
35
इंद्रधनुष
सात रंगों का मेला
रहे अकेला।
36
साथ न देता
साया भी तो अपना
अंधकार में।
37
दादी माँ बैठी
आँगन दीप जला
इंतज़ार में।
38
दोस्ती का अर्थ
अब भी न समझे
इत्ता गहरा।
39
पेड़ की छाँव
तलाशता है मन
कड़ी धूप में।
40
धूप निकली
कोहरे की चादर
सूखने डालो।
41
बेटा खज़ाना
बेटी पराया धन
कैसा है भ्रम।
42
आँधियों में भी
लड़ता मुश्किलों से
नन्हा-सा दिया।