हाय / जयवर्धन काण्डपाल
आपदा कु पुस्ता, भूकंप कु टेन्ट खेलि,
बजट क्य ब्वन हन्डरेड परसेन्ट खेलि।
अब त स्वीणा मां बि नी मिलण्यां,
प्रधानन अपणु पद परमानेन्ट खेलि।।
न कब्बि क्वे प्रस्ताव न क्वे म्यटिंग,
रजिस्टरों मां हि मिललि कटिंग फ्यटिंग।
क्वे तेगु कुछ बिगण वळु नी किलेकि,
बिगण वळों दगडि़ करीं पक्कि स्यटिंग।।
रयूड़ी , बजरि, सिमन्ट का कट्टा खेल्यां,
आर0 सी0 सी0 का छक्की बट्टा खेल्यां।
पाणि का टैंक अर डिग्गि का नौं का,
ढ़ुगौं का पता नी कथ्या चट्टा खेल्यां।।
येगा प्वटगा पिड़ा ह्वयां यत्ति खेते,
पांच साल दुखि कर्यां येन दारू प्येते।
अब छिन पछताणा सब्बि गौं का कि,
क्य पाई हमुन ये निरभगि वोट द्येते।।
जमीन लीनि येन देरादूण, श्रीनगर,
घौर मुं डाळ्यां सालूं साल नयां लैंटर।
पांच साल मां यथ्या बटवल्लि पैंसा,
कुछ कने जरूरत नी ये अब ऐथर।।
येन बी0 पी0 एल0 बणयां सेठ जमींदार,
गरीबों नि मिलण दीनि उंकु अधिकार।
गरीबों कि हाय लगण ये पर देख्या,
येगि नी ह्वण्यां कबि भलि भल्यार।।