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हुरहुर / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

दलानक पाँजरि गमकि रहल छल
फलित गाछ फूलल फुलवारी
कात सटल कट्ठा भरि लागल,
खसखस साग हरियर तरकारी
बाबा कमावथि सीता गुनि - गुनि
हमर हाथ मे ज'लक गगरी
हुनक नैन सँ ओझर भ' कऽ'
खूब चिबाबी गाजर ककरी
लदल गाछ छल नेबो बरहर,
अनार शरीफा मधुर लताम
बिनु आज्ञा केयो पात जौं छूबय
बाबा छीलथि ओक्कर चाम
बड़ पियासल किछु गाछ कॅपै छल
ढ़ारि देलहुँ भरि गगरी नीर
झन्न पीठ पर लागल चटकन,
उमड़ल व्यथा गेल देह सिहरि
खसि पड़लहुँ कात परती मे,
तमकैत बाबा लगलनि दुत्कारय
अछि उदण्ड दीर्घ टेंटी नेना,
हम्मर कोनो बात ने मानय
पुष्पहीन अफलित गाछ पर
देलक सभटा जऽल उझलि
नीक अधलाह गप्प बूझय नहि,
तेसर कक्षा मे गेल चलि
भनसार आबि माय सँ पूछल
लोचन डबडब नासिका सुरसुर
आड़ि मुरझायल थिक कोन झाड़ी,
बाउ ओहि अनाथक नाओं हुरहुर
माल जाल सँ फुलवारी बचवऽ लेल
आड़ि पर मालिक ओकरा रोपय
सामन्ती जिरातक उपेक्षित सेवक,
खाद - पानि लेल ककरो नहि टोकय
लोलुप जहाँनक अपवर्जी थिक
साओन जनमल वैशाखे उपटल
तीत पात मे पुष्प खिलय नहि,
उपहासे मे जीवन विपटल
रैन इजोरिया गगरी भरि - भरि,
जल सँ देलहुँ हुरहुर केॅ बोरि
भोरे - भोरे बाबा केॅ देखल
सजावैत किआरी पासनि सँ कोरि
कर्कष हिय मे प्रीति देखि कऽ,
झट दौड़ि हुनका गऽर लगाओल
दलित उपेक्षित जीवन वॉचल,
श्रद्धा सँ नोर टपकाओल