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हृदय / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
सो गया हूँ मैं
तुम्हारे
हृदय के पर्यंक पर
दहकते दो सूर्य
मेरी कनपटी पर --
हृदय है
कि सेज है
कि चिता है ?