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होंठों के फूल / सूरज
Kavita Kosh से
नहीं,
नहीं है कुछ भी ऐसा मेरे पास
जो तुम्हे चाहिए
मुझे चाहिए
तुम्हारी निकुंठ हँसी से झरते बैंजनी दाने
तुम्हारे होंठों के नीले फूल
अपने चेहरे पर तुम्हारी फ़िरोजी परछाईं
मुझे निहाल कर देगी
अपने भीतर कहीं छुपा लो मुझे
मेरा यक़ीन करो
जैसे रौशनी
और बरसात का करती हो
किसी पीले फूल
किसी ज़िद
किसी याद से भी कम जगह में बसर कर लूँगा मैं
अब जब तुम्हे ही मेरा ईश्वर करार दिया गया है
तो सुनो
मुझे बस तुम्हारा साथ चाहिए
अथवा मृत्यु ।