Last modified on 27 मार्च 2025, at 19:11

आधार / अभय श्रेष्ठ

जागता रहता हूँ हर पल,
कहीं उसकी कोमलता न हो नष्ट।

हृदय में सबसे प्रिय कविता की तरह,
वालेट मे रखा पुरानी प्रेमपत्र की तरह
किताब के बीच पन्नों में रखा मोरपंख की तरह,
मैंने सुरक्षित रखा है दिल मे वह जगह।

कभी तो लौटकर
फिर से अपनालोगी तुम इसे ।