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जमाना / मंगली आला शायर

रै कान खोल के सुनीयो सारे ज्ञान की बात बताऊ हूँ
यो किसा जमाना आग्या लोगों हाथ जोड़ समझाऊ हूँ

माँ नै देवे छोरा गाली बाबू नै आँख दिखावै है
बाबू करै रात दिन कष्ट कमाई छोरा खुले नोट उडावै है
पूरा साल काड़दे बाबू एक कुड़ते पजामे म्हं पर छोरे नै नया-नया फेशन बावै है
छोरा नशे पते का आदि होग्या फेर बस स्टेंड पै जारी मारण जावै है

जो घर की घर म्हं जारी मारै मेरी नजरा म्हं उस तै बड़ा कोए गदार नी होन्दा
मुँह पै भाई-भाई पीठ पीछै करै बुराई वह साचा यार नी होन्दा
घर की घर म्हं छोरी भाज ज्या फेर उस छोरी पै एतबार नी होन्दा
जो पीसे देख के प्यार करै लिखवा के लेल्यो वह साचा प्यार नी होन्दा

दिन रात मेहनत करके कमाण आले आड़ै कई-कई लोग मिलेगें
दो नम्बरी का करै काम गरीब नै करै बदनाम आड़ै कई-कई रिस्वतखोर मिलेगें
चढ़ते की टाँग खिचणीये आड़ै कई अपणे तै कई ओर मिलेगें
समझण की बात है थामनै हाथ जोड़ समजाऊ हूँ न्यू तो मनै भी बेरा है आड़ै ज्ञान देणिये बहुत मिलेगें