भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रतीक्षा / रश्मि प्रभा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टूटने से पहले
कभी मिट्टी से मिल लेना
वह बताएगी
कैसे सहना होता है
भीगना,
घूमना,
कभी-कभी चुपचाप चाक से गिर जाना
और फिर भी गढ़े जाने की उम्मीद रखना ।
 कुम्हार से भी मिलना एक बार
जो जानता है
कि कुछ चीज़ें समय से पहले नहीं बनतीं ।
वह नहीं धकेलता चाक को
बस थामे रखता है
अपने विश्वास और धैर्य के बीच ।
इसलिए,
जब लगे कि
तुम्हारा जीवन बेतरतीब हो रहा है,
कोई हाथ नहीं थाम रहा है,
हर दिशा खो रही है
तो समझना
तुम किसी आकार की ओर बढ़ रहे हो ।
इसलिए
जुड़ने से पहले
 टूटना मत,
विश्वास के साथ प्रतीक्षा करना।