भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंगारों का प्रसाद / राजेन्द्र जोशी
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:05, 22 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मरघट से शुरू हुई
मेरी यात्रा
फिर वापस भी आना है
लौटते वक्त
अंगारों का प्रसाद
उसकी चौखट पर
तसल्ली से
चढ़ाना है।