भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अगर परी मुझको मिल जाए / प्रकाश मनु

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 6 अक्टूबर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=चुनम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगर परी मुझको मिल जाए,
उससे ढेरों बातें कर लूँ।
मेरे संग वह घूमे-घामे
मेरे संग-संग ही घर आए,
मम्मी के हाथों की बढ़िया
खाकर खीर जरा मुसकाए।
उसके आने से धरती पर
मीठी रुनझुन सी छा जाए,
मेरे संग वह नाचे जी भर
मेरे संग वह गाना गाए।

अगर परी मुझको मिल जाए
कह दूँ दुनिया मुझे घुमा दो,
हाथ हाथ में लेकर मुझको
आसमान की सैर करा दो।
फूल खिलें सारी धरती पर
खुशबू वाला गीत सुना दो।
मेरे ही संग-संग वह घूमे
फिर वंशी की तान सुनाए,
अगर परी मुझको मिल जाए!