भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अतिवाद और अतिचार के बीचों-बीच / परिचय दास

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:52, 5 अक्टूबर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=परिचय दास |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem>अतिवाद और अतिचार …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अतिवाद और अतिचार
के बिचों-बीच
एक
सर्वानुमति का सहज रास्ता निकालिए :
यही विवेका का विन्यास है ।
हाम्रे विचार से क्रांति की अतिरंजकता
एक प्रतिगामी तथ्य है :
वैसे ही,
जैसे
विचार की अराजकता को पालना-पोसना
मनुष्य, समाज और राजनीति को उल्टी दिशा में
ले जाना है ।