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आंमनौ / रेंवतदान चारण

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जद आबां रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूतां ठौड़ पलीत जगावण अंगरेजा सूं क्यूं अड़िया

धरती जाया मांणस नै चंदा रौ चाव लगायौ क्यूं
आदू अभ्यासगत करसा रौ अंदाता नांव दिरायौ क्यूं
मीलां जाय मजूरां रै गाभां रगत रळायौ क्यूं
जे आ ई रांमत रमणी ही तौ थोथा सपना क्यूं घड़िया

जद आंबा रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूतां ठौड़ पलीत जगावण अंगरेजां सूं क्यूं अड़िया

झूंपां जीवण वाळा नै महलां रौ काच बतायौ क्यूं
गोलीपौ करती धीवड़ रौ आजादी नांव धरायौ क्यूं
ऊजड़ खड़ती आंधी नै यूं बीच बजारां लायौ क्यूं
कूच नगारा पैल धडिं़गै पग धरतां ईं आखड़िया

जद आंबा रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूंता ठौड़ पलीत जगावण अंगरेजां सू क्यूं अड़िया

कद कमतरिया आड़ौ लीन्हो कै राज सूंपजौ सेठां नै
औ रांमराज रौ सिंघासण रावण रै राकस बेटां नै
आ सतवंती सीता सीझै अब झाळौझाळ लपेटां में
बीज गमायौ वेल्या थाका खारच खेतर क्यूं खड़िया

जद आंबा रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूतां ठौड़ पलीत जगावण अंगरेजां सूं क्यूं अड़िया

वे हुता लुटेरा परदेसी अै धरती रा धाड़ैती सिरमोर
मासी जाया भाई वीरा कुण छोटौ कुण मोटौ चोर
साथळ उघाड़ां किण सांम्ही पीड़ चभीकौ बेजां ठौर
घर-घर घाटौ नााचै थें भरम भरोसै क्यू भिड़िया

जद आंबा रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूतां ठौड़ पलीत जगावत अंगरेजां सूं क्यूं अड़िया

मजदूरां हैलौ सांभळज्यौ औ बोल आखरी कैणौ है
करसां संभ जाज्यौ हाकै नै हां नवौ मोरचौ लैणौ है
मरजाद निभावण माथा दौ जे अबै जीवतौ रैणौ है
थांरै हारियां जुग हारैला अखरै जीत मोरचै जुड़ियां

जद आंबा रै अकडोड्या पाकै बापू बिरथा क्यूं लड़िया
भूतां ठौड़ पलीत जगावण अंगरेजां सूं क्यूं अड़िया