भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज हमर देस के ए हाल हे / लक्ष्मण मस्तुरिया

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:23, 18 अगस्त 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लक्ष्मण मस्तुरिया |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सारी जिनगी आंदोलन हड़ताल हे
आज हमर देस के ए हाल हे

छाती केपीरा बने बाढ़े आतंकवाद
भ्रष्टाचार-घोटाला हे जिनगी म बजरघात
कमर टोर महंगाई अतिया अन संभार
नेता-साहेब मगन होके भासन बरसात
ओढ़े कोलिहा मन बधवा के खाल हे

हमर देस हमर भुंई हमरे सूराज हे
जिनगी गुलाम कईसे कोन करत राज हे
दलबल के ज़ोर नेता ऊपर ले आत हे
भूंई धारी नेता सबों मूड़ी डोलात हे
देस गरीब होगे नेता दलाल हे

पढे लिखे चेलिक मन भट के रोजगार बर
दिन दिन दुकाल परे उजरत हे गांव घर
भागत हे सहरिया मन बंगला मोटर कार बर
गांव वाले मनखे तरसै चाउर दार बर
गरीब जनता के नेता मालामाल हे

दोस काला देबो सब अपने भाई बंद हे
पद-पइसा पाइन उही भोंगाचंद हे
जिनगी सुराजी जियइया कंगाल हे
रोज देवारी उंकर रोग रंग गुलाल हे
ए सरकार घलो जीव के जंजाल हे