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इन्सानों के पंख / मनोहर बाथम

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इन्सानों के पंख
नोंच-नोंचकर
फेंके जा रहे हैं
परिन्दों के सामने

ये परिन्दे
भूल जाएँगे उड़ना

अगर आदत पड़ गई इनको
नोंच-नोंचकर
पंख खाने की