भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसकी आवाज आती है / संजय चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:00, 4 अप्रैल 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सर्दियों में
नीचे कोई रोता है
सीलन की तरह उसकी आवाज
शहरों का हिस्सा है

गर्म बिस्तर पर
जब सारी अच्छी किताबें
एक-एक कर दिमाग में आती हैं
बाहर निकलने का मन नहीं करता

उसकी आवाज आती रहती है
पीने के पानी को और ठंडा करती हुई
और इस सारे संसार को।