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ओरण इकतीसा / दीपसिंह भाटी 'दीप'

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ओरण उपजै औषधी, ओरण लाभ अनेक।
ओरण बचावण आवसक, निश्चै कारज नैक।।1।।
 
रोपो सगल़ा रूंखड़ा, रूंखां धरती रूप।
निश दिन रहो निरोगवत, सुंदर सुगढ़ सरूप।।2।।
 
पीपल हरदम पूजणो, बरगद छांव बहोर।
शीशम साल सफेदड़ा, सागवान सिरमोर।।3।।

नीम वसै नारायणा, रोहीड़े रघुनाथ।
कूंबट राजै किशनजी, गुगल़ाणी गणनाथ।।4।।

आक कनक शिव आचमे, कपड़ो देत कपास।
 गूंदी लांका गांगटी, मीठा फल़ मधुमास।।5।।
 
 तुलसी हरै रोग तपस, कहिये चंदन कैर।
सरेस जींजण सनसड़ा, महकै चारो मेर।।6।।
 
खींप फोग चग खेजड़ी, सिरगू थोर सजोर।
 जबरा पीलू जाळियां,बोरड़ियां मृदु बोर।।7।।
 
गीतां अरणी गाइजै, मखणी मोमामोळ।
धामण वालो धैनुवां, मींजल बउ मोराळ।।8।।

बूराड़ो कांटी भुरट, सोनमखी चिड़मोठ।
 लांप अकड़ियो लकड़ियो , आंखफूट अड़मोठ।।9।।
 
सणतर है शँखफूलड़ी, औखद कारज आय।
खूंभी गोलां खीरड़ी, खास प्रेम सूं खाय।।10।।

आंब नींबू अरंडिया, दाड़म खारक दाख।
जामुन अदरक जामफळ, सीताफळ री साख।।11।।

चुतर नारी चंदळियो, छमके रांधे साग।
पेल जिमावै पीवजी, भला सरावै भाग।।12।।

चमके जोबन चामकस, गिरामणो गुणकार।
 भगावै रोग भांगरी, धामासो रसधार।। 13।।

साटो बगरो सोनलो, बेकर नागरबैल।
लाणो कूरी लेलरू, ऊंठां अंत विसेक।।14।।

सरस तोइया सांगरी, ढाळू कैरां ढेर।।
चोखा घणा चापटिया, लप सूं लीला लैर।।15।।

 बरसाळे फळ बैलड़ी, मीठा शकर मतीर।
मौजां करै मवेशियां, खायां उपजै खीर।।16।।
               
फरहर लागे फूठरा, फागण महिणै फूल।
कंचन देही कामणी, कर सिणगार कबूल।।17।।

ओरण रूपक असतरी, मरूभोम महकाय।
ओढ़ सुहागण ओढणी, विहंँस रही वनराय।।18।।

सेवण धकड़ी सनवड़ी, कळहळ खिले कणेर।
मरुवो चंपो मोगरो, सौरभ सांझ सवेर।।19।।

जळके दोधा जोजरी, कामण नरड़ां केश।
कदंब गूलर कांकड़ी, वैलसूर नव वेश।।20।।

ओरण मोटो आसरो,सब जीवां रो सास।
करत पँखेरु किलवलां, पानां फूलों पास।।21।।

गिद्ध चील गोडावणा, बैया पिटिया बाज।
कबू कमेड़ी कोचरी, सरगम छैड़े साज।।22।।

पीया पुकारे पपयौ, चंदा प्रीत चकोर।
ढोलर पीयल़ ढेलड़ी, तीतर गगू तिलोर।।23।।

पींचा लैली पाल़मां, मीठा बोले मोर।
कोयल करैह टहुकड़ा, हिवड़ै उठै हिलोर।।24।।

गटा गूहड़ गिलहरियां,कठफोड़ा अर काग।
तीड भंवरा तितलियाँ, पसरे घणो पराग।।25।।

बाग चिंकारा बांदरा,लांबी पूंछ लंँगूर।
चीतल रींछ चीतरा, सूअर भूंडण सूर।।26।।

शेह लूंकी स्याल़िया, वन मांह करै वास।
नाहर खरहा नोल़िया, मिरगा बारों मास।।27।।
 

घूं घूं राग घुरावती, भण होली भोल़ीह।
कुरूखेत री कैवतां, टमरक टींटोल़ीह।।28।।

शूलों धारै सैहलो़,गिरगिट किरड़ी गोह।
गूंगी गोगागावड़ी, आकां मह आरोह।।29।।

पाळम चिड़ी पटेबड़ी, कुरजां रो कलराव।
समरण करैह सूवटो, रटै राम रघुराव।।30।।

पूजा करोह प्राणियां, कुदरत कोख कमाल।
देवी वरणै 'दीपियो',जड़ सूं मिटै जंजाल।।31।।