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कविता है अणहोणी सूं लड़न रो हथियार / राजेश कुमार व्यास
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इण सूं पैली के
सूख जावै
सगळा ही हरा रूंख
आभै सूं
बरसण लाग जावै खीरा
तारां री छिंया मांय
सूस्तावण लाग जावै सूरज
उजास करण लाग जावै जतन
अंधारै मांय लुकण रो
इणसू पैली के
भागण लाग जावै
उम्मीद री आस
अर
सूख जावै
आंख रो पाणी
आ
भरोसो राखते रचां
आपां कविता
सेवट
कविता है
अणहोणी सूं
लड़ण रो हथियार।