भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

काला राक्षस-14 / तुषार धवल

Kavita Kosh से
Lina jain (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 20:40, 8 अक्टूबर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुषार धवल }} पीड़ाओं का भूगोल अलग है लोक अलग जहा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीड़ाओं का भूगोल अलग है

लोक अलग

जहाँ पिघल कर फिर मानव ही उगता है

लिए अपनी आस्था।


काला सम्मोहन --


चेर्नोबिल। भोपाल।

कालाहांडी। सोमालिया। विदर्भ।

इराक। हिरोशिमा। गुजरात।

नर्मदा। टिहरी।

कितने खेत-किसान

अब पीड़ाओं के मानचित्र पर ये ग़लत पते हैं


पीड़ाओं का रंग भगवा

पीड़ाओं का रंग हरा

अपने अपने झंडे अपनी अपनी पीड़ा।