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कि अगले ही कदम पे खाइयाँ हैं / शिव ओम अम्बर

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कि अगले ही कदम पे खाइयाँ हैं,
बहुत अभिशप्त ये ऊँचाइयाँ हैं।

यहाँ से है शुरू सीमा नगर की,
यहाँ से हमसफर तनहाइयाँ हैं।

हुई किलकारियाँ जबसे सयानी,
बहुत सहमी हुई अँगनाइयाँ हैं।

हमारी हर बिवाई एक साखी,
बदन की झुर्रियाँ चौपाइयाँ हैं।

नियति में आपकी विषपान होगा,
जुबां पे आपकी सच्चाइयाँ हैं।