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के भनुँ म कसो गरी परें / यादव खरेल

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के भनुँ म कसो गरी परें
मोहिनीको मायाजालैमा
बोलाइरहने टोलाइरहने
त्यो आँखाको नीर तालैमा

रुपै कस्तो परी जस्तो
दन्तै लहर खोली हाँस्दा
फूलै फूल उनको गालामा
डुबें म त नीर तालैमा

माया बस्यो दिलै फस्यो
आफ्नै मन उनिदिऊँ कि
उनले लाउने जुही मलैमा
डुबें म त नयन तालैमा

शब्द - यादव खरेल
स्वर - अभिजित
संगीत - सम्भुजित बासकोटा
चलचित्र - प्रेमपिण्ड