भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चक्रान्त शिला - 27 / अज्ञेय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:58, 13 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दूज का चाँद-
मेरे छोटे घर-कुटीर का दीया
तुम्हारे मन्दिर के विस्तृत आँगन में
सहमा-सा रख दिया गया।