Last modified on 12 जून 2017, at 10:40

चाल भतूळा रेत रमां! : तीन / राजूराम बिजारणियां

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:40, 12 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजूराम बिजारणियां |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पड़ाल री ओट
खड़ी रेत.!

हेत रा फूटता
अलेखूं झरणां

लुक-लुक जोवै
टेढी निजरां
जीव री जड़ नै।

मन में भर उडार
चावै जावणो
नैण मिलावणो।

भतूळियो-
तेज रै परवाण
नीं बस में हरेक रै
झेलणो उण री झळ नै।

स्यात-
इण सारू रेत
दबावती हेत
चावै नीं उडणो
फटकारै सूं।

रेत री नीत
उडणो नीं
दुड़णो नीं

होय अेक
साथै साथै मुड़णो है.!