भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीके जब जैसे दिन आये / ईसुरी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:19, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=ईसुरी |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीके जब जैसे दिन आये।
कैसें जात बराये।
दिनन फेर के फेर सें।
स्यार सिंग खाँ धाये।
दिनन फेर से राय मुनईयाँ।
बाजै झपट दिखायें।
दिनन फेर सें सरपन ऊपर।
मिदरन मूँड़ उठाये।
बेर बेर जे खात ईसुरी,
बेर बीन तिन खाये।