भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारे मिलने का मतलब / मदन गोपाल लढा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:44, 17 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मदन गोपाल लढा }} {{KKCatKavita}} <poem> पहली नज़र में तुम्हारे …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहली नज़र में
तुम्हारे लिए
मेरे हृदय में
जन्मी एक चाह
कैसे ही हो
तुमसे जान-पहचान।

कैसी मुलाकात है यह
ओ मेरी जोगन !
ज्यों-ज्यों
मैं जानता हूँ तुमको
खुद को भूलता हूं
अंतर की अन्धेरी सुरंग में
उतरता हूँ।

सच बताओ !
तुम्हारे मिलने का मतलब
कहीं मेरा खोना तो नहीं है।


मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा