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नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नानो सो चम्पो गंगा घर लगई आया
तेकी डाळ गई गुजरात
ते अब घर आओ तीरथ वासी।
नानो सो अम्बो गंगा घर लगई आया
तेकी कैरी लगी लटलूम
हे अब घर आओ तीरथ वासी।
नानी सी गय्या गंगा घर धरी आया
तेका जाया अक्खरनी समाय
ते अब घर आओ तीरथ वासी।
नानी सी कन्या, गंगा घर छोड़ी आया,
तेका जाया पालणां नी समाय,
ते अब घर आओ तीरथवासी।
नानो सो पुत्र गंगा घर धरी आया,
तेका जाया पालणां नी समाय,
ते अब घर आओ तीरथवासी।