भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पटाईलोजी / रूपसिंह राजपुरी

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:50, 26 सितम्बर 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रूपसिंह राजपुरी |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani}} {{KKCatKavita‎}}<poem>रम…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रमकूड़ी जवान बणगी,
बाल कर'र डाई।
बोबी कट स्टाइल राखै,
घरै आवै नाई।
पटाईलोजी करैं छोरा।
मानै कोनी चेड़ भोरा।
भाभी बीनै कैण लागग्या,
जका कैंता ताई।