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पांच बधावा म्हारे आविया / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पांच बधावा म्हारे आविया
पांचों री नवी-नवी भांत
घड़ा मारूजी पेलो बधावो कांकड़े आवियो
कांकड़िया रे म्हारा खेतघणा घड़ामारू
धंवला तो धोरी म्हारयां हल बावे
दूसरो बधावो बागां में आवियो
नारेलांरी लागी लटालूम
दाख-चारोल्यां म्हारायां बहुफले
तीसरो बधावो ड्योढ़ी पे आवियो
हस्ती झूले छे दरबार घड़ा मारूजी
बांदिया लखेना तेजन जौ चरे
चौथो बधावो रसोई में आवियो
जीमे म्हारा आलीसा रो सांत
घीव कचोले, दूद वाटके
पांचवों बधावो ओवरी में आवियो
सायधन जायो छे पूत घड़ा मारूजी
नौबत बाजी, सक्कर बांटजो