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पाणी / राजूराम बिजारणियां

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पाणी!
फगत पाणी हुवै
न्है’र में बैंवतो
झरणै सूं हींडतो
दूर हुवै
भेद-अभेद सूं!
नाजोगो माणस!
कुण्ड
माटकी’र
लौटै रो
पीव’नै सीतळ पाणी
उकळतो-उफणतो
किंयां उतार देवै
छिणक में
मुळकतै मूंढां रो पाणी.!