Last modified on 26 फ़रवरी 2013, at 16:53

पानी पानी रहते हैं / ज़हीर रहमती

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:53, 26 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़हीर रहमती }} {{KKCatGhazal}} <poem> पानी पानी ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पानी पानी रहते हैं
ख़ामोशी से बहते हैं

मेरी आँख के तारे भी
जलते बुझते रहते हैं

बेचारे मासूम दिए
दुख साँसों का सहते हैं

जिस की कुछ ताबीर न हो
ख़्वाब उसी को कहते हैं

अपनों की हम-दर्दी से
दुश्मन भी ख़ुश रहते हैं

मस्जिद भी कुछ दूर नहीं
वो भी पास ही रहते हैं