भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पूरी की पूरी लड़की: एक / हरप्रीत कौर

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:04, 16 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरप्रीत कौर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह आएगी
और धर देगी
अपनी उदासी तुम्हारे भीतर

रात गए
तुम गाओगे उसके प्रेम और
विद्रोह के गीत

कैसे जानेगा कोई
कि तुम्हारी कठोरता में
धर दी गई है
एक पूरी की पूरी लड़की!