Last modified on 9 नवम्बर 2018, at 09:58

बूढ़ा दिया / कविता भट्ट

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:58, 9 नवम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कविता भट्ट |संग्रह= }} Category:चोका...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अमावस की
कल थी काली रात
मैं वह दिया
दीपमालिका का जो-
अँधियारे से
जूझा पूरी रात हूँ
जगमगाता
कोना-छत-मुँडेर
मंदिर-घर
रौशन की गलियाँ
कल ही हुआ
पूजन व वंदन
अभिनंदन
आज पड़ा हुआ हूँ
एक कोने में
घर के बुजुर्ग-सा
फेंका जाऊँगा
अब कल गंगा में
है न आश्चर्य?
नाम दिया जाएगा
इसको विसर्जन !