भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बॉर्डर पर / चैनसिंह शेखावत

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:07, 10 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चैनसिंह शेखावत |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अे गोडावण
जे बठैई नाचै
प्रणय-मुद्रा में ईयां ई
तो पक्को जाण
हेत उणा में नीं अणजाण

सीयाळै रो तावड़ो
गुलाबीजतो होवैला
ठीक उणी भांत
वॉचिंग टावर स्यूं देख्यो है म्हैं
सिंज्या री छीयां मून व्है
जियां म्हारै गांव री
काची भींतां सूं
चिपेड़ी छापळीजै

तारां री आ सींव
सदियां रो आंतरो
जलमां रो फासलो।