भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाग मत विचार से / राम सेंगर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:00, 23 जून 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम सेंगर |अनुवादक= |संग्रह=बची एक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भाग मत विचार से ,
विचार से न भाग !

भाव दे न भाव को
कि कथ्य उलट जाए ।
खोल,और खोल बात
दूर तलक जाए ।
लाज़िम है —
जले, और जलती ही रहे सदा
दबी-दबी ठण्डी पड़ जाएगी आग ।

आया है, और नहीं
आएगा और ।
क्रूर-अराजक ऐसी
खुन्नस का दौर ।
लाज़िम है —
इस खिलन्दड़ी का चस्का तोड़ें
जनमत को समझे जो, साबुन का झाग ।

घेर-मार की
सीनाजोरी को रोक ।
रौंद से भयातुर है
यह मँगललोक ।
लाज़िम है —
बचने की जुगत का सिला मिलना
निष्कुण्ठा से फूटे जीवन का राग ।

भाग मत विचार से ,
विचार से न भाग !