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"भूले स्वाद बेर के / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

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सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा
 
सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा
 
 
बचन बिसर गए गए  देर के सबेर के !
 
बचन बिसर गए गए  देर के सबेर के !
 
 
बन गया साहूकार  लंकापति  विभीषण
 
बन गया साहूकार  लंकापति  विभीषण
 
 
पा  गए  अभयदान शावक कुबेर  के !
 
पा  गए  अभयदान शावक कुबेर  के !
 
 
जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए  मुनिगण
 
जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए  मुनिगण
 
 
हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के !
 
हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के !
 
 
बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम
 
बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम
 
 
शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के !
 
शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के !
  
  
 
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'''१९६१ में लिखी गई
१९६१ में लिखी गई
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12:24, 25 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा
बचन बिसर गए गए देर के सबेर के !
बन गया साहूकार लंकापति विभीषण
पा गए अभयदान शावक कुबेर के !
जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए मुनिगण
हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के !
बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम
शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के !


१९६१ में लिखी गई