भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मंदिर में लड़की / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''मंदिर में लड़की'''
+
{{KKGlobal}}
 
+
{{KKRachna
 +
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
ख़ास है, बहुत ख़ास है
 
ख़ास है, बहुत ख़ास है
 
मंदिर में लड़की का होना
 
मंदिर में लड़की का होना
पंक्ति 35: पंक्ति 40:
 
जवांदिल भक्तों को खींच लाना  
 
जवांदिल भक्तों को खींच लाना  
 
और उन्हें उकसाना  
 
और उन्हें उकसाना  
कि वे अपनी मनोकामनाएं
+
कि वे अपनी मनोकामनाएँ
 
दान-पुण्य कर पूरी करें  
 
दान-पुण्य कर पूरी करें  
  
पंक्ति 54: पंक्ति 59:
 
लड़की का बार-बार आना  
 
लड़की का बार-बार आना  
 
और गरमागरम चर्चा का केंद्र बनना
 
और गरमागरम चर्चा का केंद्र बनना
फिल्मी तारिकाओं से  
+
फ़िल्मी तारिकाओं से  
 
अपनी तुलना कराना  
 
अपनी तुलना कराना  
 
स्मार्ट हाव-भाव में  
 
स्मार्ट हाव-भाव में  
पंक्ति 71: पंक्ति 76:
 
मनसायन बनाए रखना  
 
मनसायन बनाए रखना  
 
और भक्त तथा भगवान के बीच  
 
और भक्त तथा भगवान के बीच  
तालमेल बैठाना.
+
तालमेल बैठाना
 +
</poem>

21:24, 9 जून 2010 के समय का अवतरण

ख़ास है, बहुत ख़ास है
मंदिर में लड़की का होना

ज़्यादातर ऐसे समय
जबकि ग्राहक साधिकार
मंदिर में प्रवेश कर
घंटा-घड़ियाल बजाकर
मन्त्र, श्लोक, चालीसा
बुदबुदाकर, गुनगुनाकर
दीनानाथ से
वरदान, आशीर्वाद
और उसकी दया
बेमोल मोल करने आते हैं

इतना ज़रूरी है
लड़की का हर वक़्त
यत्र-तत्र मंडराना
भगवान के ग्राहकों को
लुभाना, फुसलाना, भरमाना,
पुजारियों के इर्द-गिर्द भनभनाना,
उचाट से उन्हें जगाना
और भागवत उपासना में
उनका जी लगाना

इतना शुभ है
लड़की का दान-पात्र के सामने
बार-बार आकर
चंचल अंग-प्रत्यंग फड़फड़ाकर
ठाकुरजी के आगे
करबद्ध खड़ा होना
और अपने चुम्बकत्त्व से
अपने पीछे
जवांदिल भक्तों को खींच लाना
और उन्हें उकसाना
कि वे अपनी मनोकामनाएँ
दान-पुण्य कर पूरी करें

आरती-वंदन करते
भक्तजन आकुलित-अचंभित से
हाथ जोड़े
आँख खोल-खोल बंद करते
आधा-अधूरा दर्शन-लाभ उठाते
कभी-कभार
अन्यत्र व्यस्त लड़की की अनुपस्थिति में
जीवन निस्सार पाते
और पुन: उसके प्रकटत्व पर
फूले न समाते
आद्योपांत रसाबोर होते

अपरिहार्य फैशन के दौर में
अदल-बदल स्टाइलिश पहनावे में
लड़की का बार-बार आना
और गरमागरम चर्चा का केंद्र बनना
फ़िल्मी तारिकाओं से
अपनी तुलना कराना
स्मार्ट हाव-भाव में
बिलापरहेज़ हरेक से बतियाना
कंधे उचका-उचका खिलखिलाकर
दिल की घंटियाँ खनखनाना
मंदिर के कान खड़े करना
और वाकई!
भगवान का कृपापात्र बनना

मास के परहेजी दिनों में भी
लड़की के हाथों प्रसाद खाना
बहुत ज़रूरी है
बरक़त और आमद के लिए
मंदिर के माहौल को
मनसायन बनाए रखना
और भक्त तथा भगवान के बीच
तालमेल बैठाना ।