भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मैं जा रहा हूँ मेरा इन्तेज़ार मत करना / अनवर जलालपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:33, 27 जुलाई 2013 का अवतरण
मैं जा रहा हूँ मेरा इन्तेज़ार मत करना
मेरे लिये कभी भी दिल सोगवार मत करना
मेरी जुदाई तेरे दिल की आज़माइश है
इस आइने को कभी शर्मसार मत करना
फ़क़ीर बन के मिले इस अहद के रावण
मेरे ख़याल की रेखा को पार मत करना
ज़माने वाले बज़ाहिर तो सबके हैं हमदर्द
ज़माने वालों का तुम ऐतबार मत करना
ख़रीद देना खिलौने तमाम बच्चों को
तुम उन पे मेरा आश्कार मत करना
मैं एक रोज़ बहरहाल लौट आऊँगा
तुम उँगुलियों पे मगर दिन शुमार मत करना