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मैं पानी हूँ / कविता भट्ट

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मैं पानी हूँ
तरल ,स्वच्छ और नरम
ओ समय ! तुम यदि पत्थर भी हो,
तो कोई बात नहीं
चलती रहूँगी प्यार से
तुम्हारी कठोर सतह पर
धार बनकर
एक दिन तुम्हारी कठोर सतह पर
मेरे निशान होंगे
और होगी
एक कभी न थकने वाली
स्त्री की दास्ताँ !