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मैथिली मुकरियाँ-3 / रूपम झा

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जतय भेटैत छल शीतल नीर
टोल परोसक लागल भीड़
ओ अहि जुगमे भेल बेकार
की सखि सरिता
नहि इनार

तन-मनकेँ जे पुष्ट बनाबय
पाय मुदा नहि खर्च कराबय
भीतर सँ ओ करै निरोग
की सखि औषधि
नहि सखि योग

जतय बहै अछि नेहक धार
चहुँ दिश शीतल मंद बयार
जगमे सभसँ सुन्दर धाम
की सखि तीरथ
नहि सखि गाम

जतक माँटि लगैत अछि चानन
तुलसी चौरा आँगन आँगन
स्वर्गक सुख भेंटैत जहि ठाम
की सखि सासुर
नहि सखि गाम

 जाड़ माहमे ओ घर आबय
गुणमे ओ औषघि कहाबय
निर्धनकेँ ओ अछि मधूर
की सखि चिन्नी
नहि सखि गूड़

हृदय हृदय ओ बसल रहै अछि
सुख दुख संगहि संग सहैत अछि
जिनगी जकरा बिना बेकार
की सखि साजन
नहि परिवार

जखन नयनमे ओ घुरि आबय
जगमे किछु कनिको नहि भाबय
सुधि बुधि सभ किछु लै अछि छीन
की सखि सुन्दरि
नहि सखि नीन

बेर बेर जे धोखा खाए
तखनहुँ ओ झूठे पतिआय
जनम जनम के दुख से नाता
की सखी बुद्धू
नहीं मतदाता

जग मे सभकेँ प्राण बचाबय
खेत पधारक फसल बढ़ाबय
कोमल शीतल जकर शरीर
की सखि वायु
नहि सखि नीर

रहै न दिनभरि हमरा संग
सागर राति लिपटायल अंग
प्राण हमर ओ रहल बचाय
की सखि साजन
नहि रेजाय