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वाह वाह ड़े रंगी तुंहिंजा रंग / लीला मामताणी

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वाह वाह ड़े रंगी तुंहिंजा रंग
शहर छॾायइ ॻोठ छॾायइ ॾेखारियइ झर झंगल

सिंध में भी आ तुंहिंजी साराह हित भी तुंहिंजो नालो
लाल उॾेरा लहरुनि वारा आहीं साफ़ निरालो
तुंहिंजे महर सां चोट चढ़ी विय
केई मस्त मलंग वाह वाह...

सिंध में कई जिनि खेती बाड़ी से हिति मिलियुनि वारा
बंगुलनि वारा महिलनि वारा खणनि हिते अॼु खारा
कुदरत वारा केरथो ॼाणे तुंहिंजा लिखयल अंग वाह वाह...

सिंध में जिनि थे उठनि घोड़नि ख़चरनि ते कई सवारी
से था खू़ब जहाज़नि मोटरनि में वठनि बहारी
के ॻणितियुनि में ॻोढ़ा ॻारिनि-के था वॼाइनि चंग

के था दौलत खे धिकारिन के पवनि, दौलत जे पुठियां
किनि वटि अन्न जा गोदाम भरियल के दाणे लाइ वाझाइनि
के लाॻापा लाहे वेठा चाढ़े टंग ते टंग। वाह वाह...