भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शिव / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatShiv}} <poem> शिवजी है...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
पंक्ति 19: पंक्ति 19:
 
मृगछाल बाघम्बर आसन की,  
 
मृगछाल बाघम्बर आसन की,  
 
                 छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
 
                 छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
बाज रही डमरू कर में,  
+
बाज रही डमरू कर में,  
 
               व आवाज भली जग जानत सारा |
 
               व आवाज भली जग जानत सारा |
 
शिवदीन सदा शिव सहायक है,  
 
शिवदीन सदा शिव सहायक है,  
 
               वर दायक दानी वे दाता हमारा |
 
               वर दायक दानी वे दाता हमारा |
 
<poem>
 
<poem>

09:27, 26 फ़रवरी 2012 का अवतरण

साँचा:KKCatShiv

शिवजी हैं दयाला ललाट चन्द्र का उजाला,
                 हाथ त्रिशूल और भाला, गले सर्पन की माला है |
धोले बैल वाला, पिये भंग हूं का प्याला,
                  शीश गंग की तरंगे, पाप जारबे की ज्वाला है |
बाघम्बर धारे, नेत्र तीसरा उघारे,
                    कामदेव को पछारे, शिव शंकर मतवाला है |
कहता शिवदीन लाल, दीनन की करत पाल,
                    ऐसे शिव दयाल, सत्य देवन में निराला है |
=======================================================
शिव मस्तक चन्द्र बिराज रह्यो,
               अहिराज गले शिर गंग की धारा |
मृगछाल बाघम्बर आसन की,
                 छवि छाज रही अहो अपरंपारा |
बाज रही डमरू कर में,
              व आवाज भली जग जानत सारा |
शिवदीन सदा शिव सहायक है,
               वर दायक दानी वे दाता हमारा |